Holi 2023 Festival in Hindi

क्या आप जानते है होली क्यों मनाया जाता है? इसके बारे में बहुत कम लोग जानते है और नयी पीढ़ी को तो इसके बारे में जानकारी नहीं की होलिका दहन कब होता है? और हिंदी धर्म में होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? आज हम इसी के बारे में जानकारी हासिल करेंगे. होली 2023 के बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स है जो की सभी को पता होना चाहिए और Holi meaning के बारे में बहुत सारे सर्च करते है ऑनलाइन इस फेस्टिवल के बारे में और कलर के इस फेस्टिवल के बारे में जानकारी यहाँ से मिलेगा.

होली का त्यौहार

होली ख़ुशियों और भाईचारे का पर्व है, इस पर्व पर लोग आपसी गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग, गुलाल लगाकर होली मनाते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस दिन होली जलाई जाती है और इसके अगले दिन रंग और गुलाल के साथ होली खेली जाती है, जिसे धुलंडी नाम से जाना जाता है.

धुलंडी पर बच्चे-बड़े सभी मिलकर हंसते-गाते एक दूसरे के साथ होली खेलते, सारा दिन मौज़-मस्ती में बिताते हैं. मंदिरों में भी होली भक्ति-भाव से गुलाल और फूलों के साथ खेली जाती है, मंदिरों, देवालयों में पूरे फाल्गुन माह होली के गीत-संगीत और भजन प्रसादी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

होली क्यों मनाई जाती है?

होली क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे एक प्राचीन कहानी है जो की हमारे पुराणों में मिलते है और इसी वजह से हम रंग-बिरंगो का त्यौहार होली मानते है.

हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था. वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था. इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला.

लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा. इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था. प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा. बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज़ उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी.

Holika dahan

उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई. होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है.

शास्त्रों के मुताबिक जिस दिन होलिका जली वह फाल्गुन माह की पूर्णिमा का दिन था। इसीलिए होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है.

इस दिन लोग आपसी कटुता और वैरभाव को भुलाकर एक-दूसरे को इस प्रकार रंग लगाते हैं कि लोग अपना चेहरा भी नहीं पहचान पाते हैं। रंग लगने के बाद मनुष्य शिव के गण के समान लगने लगते हैं जिसे देखकर भोलेशंकर भी प्रसन्न होते हैं.

होली कैसे बनाया जाता है?

Holi kaise manaya jata hai

होली की पूर्व संध्या पर यानि कि होली पूजा वाले दिन शाम को बड़ी मात्रा में होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं. होली की परिक्रमा शुभ मानी जाती है. किसी सार्वजनिक स्थल या घर के आहाते में उपले व लकड़ी से होली तैयार की जाती है.

होली से काफ़ी दिन पहले से ही इसकी तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं. अग्नि के लिए एकत्र सामग्री में लड़कियाँ और उपले प्रमुख रूप से होते हैं. गाय के गोबर से बने ऐसे उपले जिनके बीच में छेद होता है जिनको गुलरी, भरभोलिए या झाल आदि कई नामों से अलग अलग क्षेत्र में जाना जाता है. इस छेद में मूँज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है.

लकड़ियों व उपलों से बनी इस होली का सुबह से ही विधिवत पूजन आरंभ हो जाता है. होली के दिन घरों में खीर, पूरी और पकवान बनाए जाते हैं. घरों में बने पकवानों से भोग लगाया जाता है.

दिन ढलने पर मुहूर्त के अनुसार होली का दहन किया जाता है. इसी में से आग ले जाकर घरों के आंगन में रखी निजी पारिवारिक होली में आग लगाई जाती है. इस आग में गेहूँ, जौ की बालियों और चने के होले को भी भूना जाता है. दूसरे दिन सुबह से ही लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है.

सुबह होते ही लोग रंगों से खेलते अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं. गुलाल और रंगों से ही सबका स्वागत किया जाता है. इस दिन जगह-जगह टोलियाँ रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती हैं. बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं. प्रीति भोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.

होली से जुड़े अहम तथ्य-

1. होली मुख्य रूप से भारतीयों का त्योहार है. इसे हिंदुओं का त्योहार कहा जाता है लेकिन इतिहास में कई मुस्लिम शासकों की ओर से भी होली मनाए जाने के किस्से मिलते हैं.

2. इस अवसर पर भारत के उत्तरी राज्यों में सरकारी अवकाश रहता है लेकिन दक्षिण भारत में उतना लोकप्रिय न होने के कारण सरकारी अवकाश नहीं रहता.

3. होली को फाल्गुनी या वसंतोत्सव भी कहते हैं. ये त्योहार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है, जब पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है. वैदिक काल में इस त्योहार को नवात्रैष्टि यज्ञ और मन्वादितिथि भी कहा जाता था. होली के बाद ही चैत्र महीना और हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है.

4. होली वसंत ऋतु में, फाल्गुन मास में मनाई जाती है. यह पारंपरिक रूप से दो दिन मनायी जाती है, जिसमें पहले दिन को होलिका दहन या छोटी होली और दूसरे दिन को धुरेड़ी, धूलि, धुरखेल, धूलिवंदन या बड़ी होली भी कहते हैं.

5. होलिका दहन के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, जैसे- प्रहृलाद की कथा, कामदेव के पुनर्जन्म की कथा, श्रीकृष्ण के हाथों पूतना वध की कथा, मनु के जन्म की कथा आदि.

2021 में होली Sunday, March 28 को आने वाला है और ये दो दिनों तक चलेगा Monday, March 29 कही पर 28 को मनाया जाता है और कही पर 29 को मनाया जायेगा.

दोस्तों होली क्यों मनाई जाती है? इसके बारे में आपको जानकारी मिल गया है और इसके पीछे की कहानी भी आपको जानकारी मिल गया होगा। होली रंग-बिरंगो का त्यौहार है.

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