मेवाड़ त्योहार 2023 – Mewar Festival in Hindi

मेवाड़ महोत्सव राजस्थान के उदयपुर में मनाया जाता है. यह एक ऐसा त्योहार है, जो वसंत के आगमन का प्रतीक है और उदयपुर में संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है.

मेवाड़ का त्योहार हर साल उदयपुर, राजस्थान, भारत के लोगों के द्वारा वसंत ऋतु पर उसके स्वागत में महान जोश और आनंद के साथ मनाया जाता है। यह भारत का विश्व विसारत का दूसरा जीवित सांस्कृतिक त्योहार है, जो उदयपुर में वार्षिक रुप से मनाया जाता है. यह तीन दिनों; 2 अप्रैल से 4 अप्रैल तक चलता है और मजेदार गतिविधियों से भरा होता है. यह भारत के विरासत के शहर उदयपुर में भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा का नेतृत्व के साथ ही राजस्थान में मेवाड़ की सभी जीवित विरासतों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है.

इस त्यौहार में यहां की रस्में और परंपरागत गतिविधियों की भागीदारी होती है. लोग भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को कपड़े पहनाते हैं और एक शोभा यात्रा निकालते हैं, जो शहर के अलग-अलग जगहों से होती हुई गनगौर घाट, पिचोला पर पहुँचती है. जहां मूर्ति को विशेष नाव में झील के बीच में पानी में विसर्जन के लिए ले जाया जाता है. गनगौर का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी को आदर्श जोड़ी मानते हुए, जोड़ियों की मज़बूती की मान्यता के साथ मनाया जाता है.

मेवाड़ त्योहार कैसे मनाया जाता है?

मेवाड़ में पुरानी कला की शैली का नए रुप में पुनर्निर्माण करने के लिए परंपरागत हस्तकला को आधुनिक और समकालीन शैली के साथ मिलाने के उद्देश्य के साथ विभिन्न सेमिनारों का आयोजन किया जाता है. यह आयोजन ऐतिहासिक कला और शिल्पकला में नए युग में नए विकासों को संभव बनाकर पूरे तीन दिनों के लिए हस्तशिल्पकारों को साथ में रहकर अपने गुणों और कथाओं में नए प्रयासों को दिखाने का अवसर प्रदान करता है. यह त्योहार विरासत संरक्षण की प्रक्रिया को नियमित रखने के उद्देश्य से महाराणा ऑफ मेवाड़ चैरीटेबल फ़ाउंडेशन के द्वारा आयोजित किया जाता है.

मेवाड़ उत्सव में विभिन्न प्रकार की रस्में और परंपरागत गतिविधियों आयोजित की जाती है। मेवाड़ के लोग इस उत्सव में भगवान ईसार यानि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. उनकी मूर्तियों को नए कपड़े पहनाते हैं और एक शोभा यात्रा निकालते हैं, जो शहर के विभिन्न भागों से होती हुई गनगौर घाट पर पहुँचती है, जहाँ मूर्ति को विशेष नाव में झील के बीच में पानी में विसर्जन के लिए ले जाया जाता है. इस त्योहार में महिलाएं एवं कुवांरी लड़कियां व्रत रख कर भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं.

विवाहित महिलाएं जोड़ी बनाए रखने की एवं कुवांरी लड़किया अच्छा वर मिलने की मनोकामनाएं करती हैं. इस त्योहार में भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी को राजस्थान की महिलाएं उत्सव में शामिल होने के लिए पारंपरिक और सांस्कृतिक परिधानों में स्वंय से बहुत अच्छे से तैयार करती है. वे समारोह में आकर्षण पैदा करने के लिए उत्सव के समारोह के दौरान विशेष लोकनृत्य का प्रदर्शन करती है.

Mewar Festival in Hindi

गनगौर का त्योहार विशेष रुप से महिलाएं आदर्श जोड़ी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाती है। देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए विशेष मिठाई घेवर को तैयार किया जाता है और लोगों के बीच में प्रसाद के रुप में वितरित की जाती है. नाच-गाने और हंसी खुशी के साथ इस मेले का समापन किया जाता है. भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वो सदा उनकी जोड़ियाँ बनाएं रखें एवं घर में सुख-शांति प्रदान करें.

कला, पारंपरिक गायन, नृत्य के अलावा सांस्कृतिक विविधता भी इस फेस्टिवल में शामिल होकर देख सकते हैं। इसका आयोजन पचोला झील के किनारे होता है. जो बहुत ही खूबसूरत जगह है. गनगौर के साथ मनाए जाने इस फेस्टिवल को लेकर महिलाओं में अलग ही उत्साह और उमंग देखने को मिलता है.

पारंपरिक परिधानों में तैयार हुई महिलाओं को लोकनृत्य करते हुए देखना बहुत ही मजेदार होता है. पेशेवर कलाकारों तरह-तरह की अनोखी कलाओं का प्रदर्शन करते हुए देखे जा सकते हैं. जिनसे स्थानीय कलाओं का सीखा जा सकता है. मेवाड़ की पुरानी ट्रेडिशनल हस्तकला को आगे बढ़ाने के मकसद से सेमिनार आयोजित किए जाते हैं.

मेवाड़ उत्सव का महत्व

मेवाड़ उत्सव मेवाड़ के लोगों के द्वारा वार्षिक रुप से वसंत ऋतु की शुरुआत का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है, जो पूरे भारत में आकर्षण और ख़ुशियाँ बाँटता है। यह उदयपुर के गनगौर त्योहार के साथ मनाया जाता है, जो राजस्थान की महिलाओं के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है.

वे उत्सव में शामिल होने के लिए पारंपरिक और सांस्कृतिक परिधानों में स्वंय को बहुत अच्छे से तैयार करती है. वे समारोह में आकर्षण पैदा करने के लिए उत्सव के समारोह के दौरान विशेष लोकनृत्य का प्रदर्शन करती है.

गनगौर का त्योहार विशेष रुप से महिलाएं आदर्श जोड़ी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाती है। देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए विशेष मिठाई घेवर को तैयार किया जाता है और लोगों के बीच में प्रसाद के रुप में वितरित की जाती है.

जैसे-जैसे त्योहार की धार्मिक गतिविधियाँ पूरी होती है, सांस्कृतिक उत्सव राजस्थानी लोकनृत्य और लोक-गीत आदि के माध्यम से प्रदर्शित की जाने लगती है। यह त्योहार पटाखे और फुलझड़ियों को जलाने के साथ समाप्त होता है, जिसका प्रतिभागियों और लोगों के द्वारा बहुत आनंद लिया जाता है.

उदयपुर शहर के पास महाराणा प्रताप हवाई अड्डे की सुविधा, भारत के किसी भी प्रमुख शहर, जैसे- मुम्बई, दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, कोलकाता आदि से यहाँ की यात्रा को बहुत आसान बनाती है। भारत के प्रमुख शहरों से उदयपुर शहर के लिए ट्रेन और बस सेवा की भी सुविधा उपलब्ध है.

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